ईरान पर अमेरिकी
प्रतिबंधों के बीच भारत और ईरान के बीच अहम समझौता हुआ है। बताया जा रहा है कि इस
समझौते के तहत भारत को ईरान से कच्चा तेल खरीदने के लिए डॉलर पर निर्भर रहने की
मजबूरी नहीं रहेगी। भारत रुपये के जरिए से ईरान को भुगतान कर कच्चा तेल खरीद
सकेगा। ईरान पर अमेरिकी
प्रतिबंध लगे एक महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है। इस प्रतिबंध के चलते दुनिया का
कोई भी देश ईरान से ट्रेड नहीं कर सकता है। भारत और चीन ईरान के सबसे बड़े
ट्रेडिंग पार्टनर हैं और ईरान पर प्रतिबंध में भारत और चीन समेत कुल 8 देशों को कारोबार बंद करने के लिए 6 महीने की मोहलत मिली है।
हाल में अमेरिकी
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर प्रतिबंध का ऐलान करते हुए कहा था कि 4 नवंबर के बाद अगर कोई भी देश ईरान से कच्चा तेल खरीदता है तो सख्त से
सख्त कदम उठाने के लिए वो तैयार हैं। ट्रंप ने मई में अमेरिका को 2015 में हुए ईरान परमाणु समझौते से अलग कर लिया था और उस पर फिर से
प्रतिबंध लगाए।वहीं, ईरानी राष्ट्रपति हसन
रुहानी ने अमेरिका पर पलटवार करते हुए सख्त लफ्जों में कहा था कि वो ईरान के तेल का निर्यात रोक नहीं सकता है और अमेरिका अगर ऐसा
करने की कोशिश करता है तो फारस की खाड़ी से कोई तेल बाहर नहीं जाने दिया
जाएगा।हालांकि ये भी सच है कि ईरान 1980 के दशक से ही
अंतरराष्ट्रीय दबाव के मद्देनजर बार बार खाड़ी से तेल का निर्यात रोकने की धमकी
देता रहा है लेकिन उसने ऐसा कभी किया नहीं है।
वहीं
ईरान के साथ परमाणु समझौते में शामिल दूसरे पक्ष अमेरिका के प्रतिबंधों का विरोध
कर रहे हैं। विरोध करने वाले देश ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस हैं। ये देश ईरान परमाणु समझौते को जारी
रखना चाहते हैं। संयुक्त राष्ट्र निरीक्षकों का भी मानना है कि ईरान परमाणु समझौते
की शर्तों पर कायम है। हालांकि, इस मुद्दे पर अपने को इस्लामिक देश कहने वाला सउदी
अरब अमेरिका का एकमात्र समर्थक देश है।
भारत में करीब 12% कच्चा तेल सीधे ईरान से आता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले
वर्ष भारत ने ईरान से करीब सात अरब डॉलर के कच्चे तेल का आयात किया था। भारत और
ईरान के बीच दोस्ती के मुख्य रूप से दो आधार हैं। एक भारत की ऊर्जा ज़रूरतें हैं
और दूसरा ईरान के बाद दुनिया में सबसे ज़्यादा शिया मुसलमानों का भारत में
होना।भारत में करीब 5 करोड़ शिया मुसलमानों की आबादी है। भारत ने हाल ही में ईरान
के चाबहार पोर्ट को विकसित करने का जिम्मा उठाया है जिससे भारत को अफगानिस्तान
पहुंचने के लिए पाकिस्तान जाने की जरुरत नहीं होगी। ये पोर्ट गुजरात के कांदला
पोर्ट से केवल छह सौ किलोमीटर की दूरी पर है भारत को वहां सामान पहुंचाने में पांच
से छह दिन लगेंगे फिर चाबहार से सेंट्रल एशिया या अफगानिस्तान हमारा सामान आसानी
से चला जाता है।