फिर दंगों की भेट चढ़े पत्रकार
आखिर कबतक पत्रकार दंगों की भेट चढ़ते रहेंगे। सवाल है कि आखिर कबतक लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की बुनियाद को यूं ही हिलाया जाता रहेगा। मुज़फ्फरनगर की घटना में आम अवाम समेत पत्रकारों की मौत के बाद फिर से उत्तरप्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। कम से कम पत्रकार भाइयों से गुज़ारिश है कि वो मुज़फ्फरनगर में मारी गई अवाम और पत्रकारों के साथ खड़े नज़र आयें। जाने वाले तो चले गए क्यूँ न आगे ऐसी कोशिश हो की किसी का सुहाग न उजड़े, किसी की गोद सूनी न हो. आमीन